‘खराब फ्यूल हो सकता है हादसे का कारण…’, Ahmedabad Plane Crash पर क्या बोले विशेषज्ञ

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Posted On:Saturday, June 14, 2025

गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून 2025 की दोपहर एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जो गैटविक (लंदन) के लिए रवाना हो रही थी, टेकऑफ के कुछ मिनटों के भीतर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान हादसे में कुल 265 लोगों की मौत हुई, जिसमें पायलट, क्रू मेंबर्स, MBBS के छात्र, डॉक्टर की पत्नी और अन्य यात्री शामिल थे।

यह भारत के नागरिक उड्डयन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है। इस घटना के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है और हर किसी के मन में यही सवाल है—आखिर यह भयानक हादसा हुआ कैसे?


क्या खराब फ्यूल है इस हादसे की वजह?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी (NAL) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सालिग्राम जे. मुरलीधर ने ANI से बातचीत में अहम जानकारी साझा की। उन्होंने इस हादसे को "भारत का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक विमान हादसा" बताया।

उन्होंने बताया कि यह विमान बोइंग ड्रीमलाइनर था—एक ऐसा आधुनिक और सुरक्षित विमान जो अपने नेविगेशन सिस्टम और उड़ान क्षमताओं के लिए जाना जाता है। इसके बावजूद इस तरह का हादसा होना अपने आप में गंभीर सवाल खड़े करता है।

मुरलीधर ने आशंका जताई कि "खराब फ्यूल" इस हादसे का प्रमुख कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस विमान में टेकऑफ से पहले करीब 35 टन फ्यूल था, और अगर इसके बावजूद विमान ऊंचाई हासिल नहीं कर सका, तो यह किसी बड़ी तकनीकी खराबी की ओर इशारा करता है।


फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और CVR से खुलेगा राज

विशेषज्ञ मुरलीधर का कहना है कि हादसे की सच्चाई तक पहुंचने के लिए सबसे जरूरी है कि फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) को खोजकर उनके डेटा को एनालाइज किया जाए। FDR में विमान की हर तकनीकी स्थिति का विवरण दर्ज होता है, जबकि CVR में अंतिम समय की पायलट और क्रू के बीच की बातचीत रिकॉर्ड होती है।

उन्होंने कहा कि,

"FDR से मेमोरी कार्ड निकालकर किसी हाई-क्वालिटी कंप्यूटर सिस्टम में लगाया जाएगा। वहीं CVR से भी आवाजें निकालकर दोनों को सिंक्रोनाइज करके देखा जाएगा कि हादसे से पहले क्या-क्या संकेत मिले थे।"


‘थ्रस्ट नहीं मिल रहा, नहीं बचेंगे…’ पायलट का अंतिम संदेश

हादसे के बाद सामने आया पायलट सुमित सबरवाल का ATC (Air Traffic Control) को भेजा गया आखिरी संदेश काफी भावुक और भयावह था। उन्होंने कहा था,

"थ्रस्ट नहीं मिल रहा, नहीं बचेंगे..."

इस एक वाक्य ने स्पष्ट कर दिया कि विमान को टेकऑफ के दौरान पर्याप्त थ्रस्ट यानी जोर नहीं मिल रहा था, जिससे विमान को ऊपर उठाने में दिक्कत आ रही थी।


दोनों इंजनों में एक साथ खराबी संयोग नहीं: पक्षी से टकराने की थ्योरी खारिज

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह आशंका जताई गई कि शायद कोई पक्षी टकरा गया हो, जिससे विमान हादसे का शिकार हुआ। लेकिन मुरलीधर ने इस संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा,

"पक्षियों के टकराने से कभी भी दोनों इंजन एक साथ खराब नहीं होते। यह केवल खराब फ्यूल या फ्यूल पंप फेलियर जैसी स्थिति में ही संभव है, जिससे दोनों इंजनों में थ्रस्ट कम हो सकता है।"


तकनीकी जाँच में कई आयाम होंगे

अब हादसे की जांच DGCA, Bureau of Civil Aviation Safety (BCAS) और एअर इंडिया की तकनीकी टीम मिलकर कर रही है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जांच में कई सप्ताह या महीनों का समय लग सकता है। जांच में निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर किया जाएगा:

  • फ्यूल क्वालिटी रिपोर्ट

  • टेकऑफ के समय ग्राउंड कम्युनिकेशन

  • इंजन की परफॉर्मेंस

  • पिछले मेंटेनेंस रिकॉर्ड

  • ATC के साथ पायलट की बातचीत


निष्कर्ष: हादसा या लापरवाही?

अहमदाबाद विमान हादसे ने जहां कई परिवारों को अपूर्णीय क्षति पहुंचाई है, वहीं यह सवाल भी छोड़ दिया है—क्या यह सिर्फ एक हादसा था, या किसी बड़ी लापरवाही का नतीजा?

विशेषज्ञों की राय और तकनीकी जांच से धीरे-धीरे इस दुर्घटना की असली वजह सामने आएगी। तब तक देश इस दुखद हादसे के पीड़ितों के लिए शोक मना रहा है और उम्मीद कर रहा है कि ऐसी त्रासदी दोबारा ना हो।

एअर इंडिया और टाटा समूह ने मृतकों के परिजनों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय दिया है, लेकिन अब ज़रूरत है कि उड़ानों की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस तरह की पीड़ा का शिकार न हो।





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