इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध को अब 9 दिन पूरे हो चुके हैं और आज इस संघर्ष का 10वां दिन है। दोनों देश एक-दूसरे को पूरी तरह तबाह करने की जिद पर अड़े हुए हैं। इजरायल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक वह अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल नहीं कर लेता, तब तक ईरान पर उसके हमले बंद नहीं होंगे। वहीं, ईरान ने भी कड़ा रुख अपनाया है और कहा है कि अगर इजरायल हमले बंद कर देता है तो वह भी जवाबी कार्रवाई से पीछे हट जाएगा, लेकिन अगर इजरायल हमले जारी रखता है तो ईरान अपनी पूरी ताकत के साथ पलटवार करेगा।
जंग की स्थिति और दोनों देशों की स्थिति
इस जंग का सबसे बड़ा असर दोनों देशों की आंतरिक स्थिति पर पड़ा है। ईरान का परमाणु कार्यक्रम कम से कम 2-3 साल पीछे चला गया है, जो उसके लिए एक बड़ा झटका है। वहीं, इजरायल को भी इस संघर्ष के बाद अपनी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा प्रणालियों को दोबारा मजबूत करना होगा।
वॉशिंगटन स्थित ईरानी ह्यूमन राइट्स ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इजरायली हमलों में ईरान के लगभग 650 से अधिक लोग मारे गए हैं और 2000 से ज्यादा घायल हुए हैं। दूसरी ओर, ईरानी हमलों में इजरायल को भी भारी नुकसान हुआ है जिसमें लगभग 25 लोग मारे गए और लगभग 1000 घायल हुए हैं। यह आंकड़े युद्ध की गंभीरता और दोनों पक्षों के भारी नुकसान को दर्शाते हैं।
युद्ध के ताजा हालात: मिसाइलों की बारिश
21 जून 2025 के ताजा अपडेट के मुताबिक, इजरायल ने शुक्रवार की देर रात ईरान में घुसकर एयर स्ट्राइक की और साथ ही मिसाइलें भी दागीं। इस अभियान में इजरायल के लगभग 15 फाइटर जेट्स ने पश्चिमी ईरान के कई सैन्य ठिकानों और बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चिंग साइट्स को निशाना बनाया। इन ठिकानों पर कम से कम 30 आधुनिक हथियार और मिसाइलें रखी गई थीं।
वहीं, उसी दिन दोपहर में ईरान ने उत्तरी इजरायल के बंदरगाह शहर हाइफा पर मिसाइल हमला किया। इस हमले में कम से कम 19 लोग घायल हुए हैं और बंदरगाह के आस-पास की कई इमारतें और मस्जिदें भारी क्षतिग्रस्त हुई हैं। हाइफा पर हुए इस हमले से क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
संघर्ष की तीव्रता और मानवीय संकट
दोनों पक्षों के बीच इस युद्ध की तेज़ी ने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा, आर्थिक और मानवीय संकट को गहरा दिया है। हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है और बुनियादी सेवाओं का भी अभाव नजर आ रहा है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्था भी भारी संकट से गुजर रही है, जिससे आम जनता पर भी भारी बोझ पड़ रहा है।
वैश्विक चिंता और मध्यस्थता की मांग
यह संघर्ष केवल क्षेत्रीय नहीं रह गया है, बल्कि इसे लेकर दुनिया भर की चिंता बढ़ रही है। कई देशों ने शांति की अपील की है और दोनों पक्षों से संयम बरतने को कहा है। हालांकि अभी तक कोई भी बड़ी मध्यस्थता या संघर्ष विराम की पहल सफल नहीं हुई है।
आगे क्या हो सकता है?
हालांकि दोनों देश अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं, लेकिन युद्ध की वजह से हुए नुकसान को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में किसी भी तरह की बातचीत या समझौते के लिए दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि यह संघर्ष न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
इजरायल और ईरान के बीच चल रहा यह युद्ध अब 10वें दिन में प्रवेश कर चुका है। दोनों देशों की जिद और असहनीय हमलों के कारण मानवीय और आर्थिक नुकसान हो रहा है। इस बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस संघर्ष पर टिकी हुई हैं कि कैसे इस जंग को रोका जाए और शांति बहाल की जाए। फिलहाल, दोनों पक्षों की कड़ी टकराहट जारी है और युद्ध के अगले चरण की अनिश्चितता बनी हुई है।