ओडिशा के पुरी में इन दिनों भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का भव्य आयोजन चल रहा है। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सेवा का प्रतीक है, जिसमें देश ही नहीं, दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस वर्ष की रथयात्रा विशेष रही क्योंकि इसमें भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडाणी ने अपने पूरे परिवार के साथ हिस्सा लिया और भक्तों के लिए भोजन सेवा में बढ़-चढ़कर भागीदारी की।
अडाणी परिवार की विशेष उपस्थिति
गौतम अडाणी, उनकी पत्नी डॉ. प्रीति अडाणी और बेटे करण अडाणी रथयात्रा में शामिल हुए और न केवल भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए, बल्कि हजारों श्रद्धालुओं के लिए भोजन व्यवस्था का भी हिस्सा बने। इस सेवा कार्य में इस्कॉन मंदिर की सहायता से विशाल रसोई का आयोजन किया गया, जहां हर दिन लाखों तीर्थयात्रियों को पवित्र और शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जा रहा है।
खुद रसोई में उतरे गौतम अडाणी
सेवा की मिसाल पेश करते हुए गौतम अडाणी स्वयं रसोई में गए और खाना पकाने के कार्य में स्वयंसेवकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। उन्होंने अपने हाथों से पूड़ियां बनाई, सब्ज़ी तैयार करने में मदद की और भोजन की व्यवस्था को बारीकी से देखा। उनकी इस विनम्रता और सेवा भावना ने उपस्थित श्रद्धालुओं और स्वयंसेवकों के बीच एक सकारात्मक और भावनात्मक माहौल बना दिया।
हालांकि उनकी सुरक्षा टीम ने शुरू में उन्हें ऐसा करने से मना किया था, लेकिन गौतम अडाणी ने विनम्रतापूर्वक आग्रह स्वीकार किया और सेवा में भाग लिया। यह घटना केवल एक उद्योगपति के सेवा भाव की मिसाल नहीं थी, बल्कि यह संदेश भी था कि सच्ची महानता पद या धन में नहीं, बल्कि सेवा में है।
डॉ. प्रीति अडाणी की भूमिका
गौतम अडाणी की पत्नी डॉ. प्रीति अडाणी ने भी इस सेवा कार्य में पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ हिस्सा लिया। वे एक बड़े बर्तन (खमचा) में सब्ज़ी पकाती नज़र आईं और स्वयंसेवकों के साथ मिलकर भोजन तैयार किया। उनके बेटे करण अडाणी भी इस कार्य में सहयोगी रहे। पूरे अडाणी परिवार ने यह दिखा दिया कि उनका जुड़ाव न केवल आर्थिक और व्यावसायिक क्षेत्र में है, बल्कि वे भारतीय संस्कृति, परंपरा और भक्ति भावना में भी गहराई से रचे-बसे हैं।
इस्कॉन मंदिर का बयान: सच्ची महानता सेवा में है
इस्कॉन प्रबंधन ने अडाणी परिवार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि,
“गौतम अडाणी जी की रसोई में सेवा करने की इच्छा और उसका क्रियान्वयन, भले ही थोड़े समय के लिए था, लेकिन वह हम सभी के लिए एक बहुत ही प्रेरणादायक संदेश था। उन्होंने यह साबित किया कि सच्ची महानता सेवा में होती है, न कि किसी ओहदे या प्रतिष्ठा में।”
इस्कॉन की मान्यता है कि ऐसे कार्यों के ज़रिए समाज के प्रभावशाली वर्ग से आने वाले लोग जब संस्कृति और भक्ति सेवा में भाग लेते हैं, तो वे समाज के सामने एक सार्थक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
कुंभ मेले के बाद दूसरी बड़ी पहल
यह पहली बार नहीं है जब अडाणी ग्रुप ने किसी धार्मिक आयोजन में भोजन सेवा का आयोजन किया हो। इससे पहले कुंभ मेले में भी अडाणी समूह ने प्रसाद सेवा की शुरुआत की थी, जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया गया था। अब पुरी रथयात्रा में उनकी यह दूसरी बड़ी पहल रही, जो उनकी सेवा भावना और धार्मिक आस्था को दर्शाती है।
आर्थिक समृद्धि के साथ सांस्कृतिक जुड़ाव
गौतम अडाणी भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक हैं। लेकिन उनके द्वारा किया गया यह कार्य यह दर्शाता है कि धन और शक्ति के शिखर पर बैठा व्यक्ति भी विनम्रता और सेवा की भावना से ओतप्रोत हो सकता है। अडाणी परिवार ने यह साबित किया है कि सामाजिक जिम्मेदारी सिर्फ CSR तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसे जमीन पर उतरकर भी निभाया जा सकता है।
निष्कर्ष: भक्ति, सेवा और नेतृत्व का आदर्श उदाहरण
पुरी की रथयात्रा में अडाणी परिवार की भागीदारी न केवल धार्मिक भावना का उदाहरण है, बल्कि यह आधुनिक भारत के नेतृत्वकर्ता वर्ग की संवेदनशीलता और सेवा भावना को भी दर्शाता है। उनकी यह सेवा समाज के अन्य प्रभावशाली लोगों को भी प्रेरणा देती है कि सच्चे नेतृत्व का अर्थ केवल नेतृत्व करना नहीं, बल्कि सेवा में आगे रहना भी है।
पुरी रथयात्रा जैसे भव्य आयोजनों में यदि हर वर्ग का व्यक्ति – आम हो या खास – सेवा का भाव लेकर जुड़ता है, तो यह न केवल आयोजन को भव्य बनाता है, बल्कि समाज को भी एकजुट करने का कार्य करता है। गौतम अडाणी का यह कार्य उसी दिशा में एक मजबूत और प्रेरणादायक कदम है।