बिहार की ग्रामीण महिलाएं अब सिर्फ रसोई और घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहीं। वे अब अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। इस बदलाव की बड़ी वजह बनी है बिहार सरकार की ग्रामीण विकास योजना "जीविका" और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की साझेदारी, जिसने हज़ारों महिलाओं को आसान ऋण उपलब्ध कराकर उनके सपनों को नई उड़ान दी है।
ये महिलाएं अब मुर्गी पालन, सिलाई, दुकानदारी, हस्तशिल्प और पशुपालन जैसे छोटे-छोटे व्यवसाय चला रही हैं। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ रही है, बल्कि समाज में उन्हें नया सम्मान और पहचान भी मिल रही है। यह पहल बिहार की महिलाओं के जीवन में एक नई क्रांति लेकर आई है।
बैंकिंग के ज़रिए महिलाओं को मिला आर्थिक सहारा
हाल ही में पटना में आयोजित एक विशेष वित्तीय समावेशन कार्यक्रम में जीविका के CEO हिमांशु शर्मा और पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाओं को बैंक से ऋण देकर उनकी आजीविका संबंधी गतिविधियों को मजबूती देना।
अब तक जीविका समूहों को 150 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया जा चुका है। महिलाएं इस पैसे का इस्तेमाल कर अपने व्यवसाय चला रही हैं। खास बात यह है कि समूह ऋण के साथ-साथ अब व्यक्तिगत ऋण की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे महिलाएं अपने अनुसार बिजनेस की शुरुआत कर पा रही हैं।
“लखपति दीदी” योजना बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल
इस कार्यक्रम में “लखपति दीदी” योजना की भी चर्चा हुई। इस योजना का उद्देश्य है कि हर जीविका दीदी की वार्षिक आय 1 लाख रुपये या उससे अधिक हो। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण, मार्केटिंग सपोर्ट और वित्तीय मदद दी जा रही है। पंजाब नेशनल बैंक की ऋण योजनाएं इस सपने को साकार करने में सहायक बनी हैं।
बेबी रंजन, मनीषा देवी और शोभा देवी जैसी महिलाओं ने इस अवसर पर बताया कि कैसे उन्होंने समूह और बैंक से ऋण लेकर अपने जीवन को बदल डाला और “लखपति दीदी” बन गईं।
वित्तीय समावेशन से सामाजिक बदलाव की ओर
जीविका के CEO हिमांशु शर्मा ने कहा कि वित्तीय समावेशन सिर्फ खाता खुलवाना नहीं, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। उन्होंने बताया कि अब तक 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण SHG समूहों को बैंकों द्वारा दिया जा चुका है। पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी अशोक चंद्र ने इसे सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम बताया।
बैंक ने इस वर्ष 50,000 से अधिक महिलाओं को व्यक्तिगत ऋण देने की योजना बनाई है, जिससे वे खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।
निष्कर्ष: महिलाओं का सपना, बिहार का विकास
जीविका और पंजाब नेशनल बैंक की यह साझेदारी सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पूरे बिहार के आर्थिक विकास के लिए एक प्रेरणा बन गई है। सुलभ ऋण प्रक्रिया, निरंतर प्रशिक्षण और सरकार की मदद से अब महिलाएं लाभार्थी नहीं, बल्कि समाज की निर्माता बन रही हैं। यह एक नया बिहार है — जहां हर महिला आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर है।