हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हमले के कुछ ही दिनों के भीतर NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने एक ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसने हर हिंदुस्तानी को हैरान कर दिया है। पकड़ा गया व्यक्ति कोई आम नागरिक नहीं बल्कि CRPF (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स) का जवान है — नाम है मोती राम जाट।
यह गिरफ्तारी सिर्फ जासूसी का मामला नहीं, बल्कि यह उस भीतरघात का संकेत है, जो हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा को खोखला कर सकता है। इस रिपोर्ट में हम इस पूरे घटनाक्रम का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जिसमें हमले से लेकर गिरफ्तारी, जांच एजेंसियों की भूमिका, और सुरक्षा में लगाई जा रही सेंध के बारे में विस्तार से जानेंगे।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ा सतर्कता स्तर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। देश में रहने वाले उन सभी लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है, जिन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का शक है। इसी कड़ी में जांच एजेंसियों की नजर CRPF जवान मोती राम जाट पर गई, जिसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
जासूसी के पीछे कौन?
NIA की जांच में सामने आया है कि ASI मोती राम जाट, जो CRPF की 116वीं बटालियन में तैनात था, साल 2023 से ही पाकिस्तान की PIO (पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव) के संपर्क में था। उसने पैसों के बदले भारत की सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान को दीं। इसमें:
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सेना की गतिविधियों की जानकारी,
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मूवमेंट पैटर्न (आंदोलन योजना),
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यूनिट लोकेशन और
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आंतरिक रणनीतियां शामिल थीं।
इन सूचनाओं के बदले मोती राम को पैसे दिए जाते थे। जांच एजेंसियों को शक है कि ये जानकारियां पाकिस्तानी आतंकी संगठनों तक पहुंचाई जाती थीं, जिनका इस्तेमाल आतंकी हमलों की योजना बनाने में हो सकता है।
हमले से 6 दिन पहले हुआ था ट्रांसफर
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि CRPF जवान मोती राम जाट की पोस्टिंग पहलगाम से हमले के महज 6 दिन पहले ही खत्म हुई थी। यानी वह हमले के समय तक उस संवेदनशील क्षेत्र में तैनात था।
यह संयोग नहीं बल्कि एक गंभीर संदेह की ओर इशारा करता है। NIA अब यह भी जांच रही है कि कहीं मोती राम जाट का आतंकी हमले में सीधा या अप्रत्यक्ष रोल तो नहीं था।
CRPF का आधिकारिक बयान
CRPF की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि:
"मोती राम जाट पर उस वक्त शक हुआ जब केंद्रीय एजेंसियों ने उनकी सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर डाली। उनके कई पोस्ट ऐसे थे, जो सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे थे।"
CRPF के नियमों और भारत के संविधान के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें 21 मई 2025 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके तुरंत बाद NIA ने उन्हें गिरफ्तार कर स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 6 जून 2025 तक हिरासत में भेज दिया गया है।
जांच की अगली दिशा
NIA अब निम्न बिंदुओं पर गहनता से जांच कर रही है:
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क्या मोती राम जाट पाकिस्तानी ISI एजेंट के संपर्क में अकेला था या उसके पीछे कोई नेटवर्क भी सक्रिय है?
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले में उसकी कोई भूमिका रही या नहीं?
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क्या उसने CRPF या भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज भी साझा किए?
इसके अलावा एजेंसियां यह भी पता लगा रही हैं कि पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स ने उसे किस माध्यम से संपर्क किया और कितनी राशि उसे जासूसी के बदले में दी गई।
देश की सुरक्षा में भीतरघात कितना खतरनाक?
जब देश की सुरक्षा में लगे किसी जवान पर ही विश्वास टूटता है, तो यह केवल एक कानूनी अपराध नहीं, बल्कि राष्ट्र के विश्वास के साथ विश्वासघात होता है। CRPF जैसे बल में कार्यरत जवान देश के हर कोने में आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। ऐसे में उनका पाकिस्तानी एजेंसी से जुड़ जाना अत्यंत खतरनाक संकेत है।
📢 निष्कर्ष
मोती राम जाट की गिरफ्तारी हमें जागरूक और सतर्क करती है कि जासूसी केवल बॉर्डर पार से ही नहीं, बल्कि देश के अंदर से भी की जा सकती है। ऐसे में जरूरी है कि:
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सेना और अर्धसैनिक बलों में इंटर्नल स्क्रूटनी को मजबूत किया जाए।
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सोशल मीडिया पर कर्मियों की गतिविधियों की कड़ी निगरानी रखी जाए।
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सुरक्षा एजेंसियों के बीच रीयल टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग को और बेहतर किया जाए।
देश की सुरक्षा सिर्फ बंदूक या बम से नहीं, बल्कि सतर्कता और निष्ठा से होती है।
देश की रक्षा में शामिल हर व्यक्ति का देश के प्रति समर्पण ही उसकी असली ताकत है।