वॉशिंगटन/मॉस्को: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच सोमवार को एक महत्वपूर्ण फोन वार्ता हुई, जिसने वैश्विक स्तर पर नई उम्मीदें जगा दी हैं। यह वार्ता लगभग 2 घंटे तक चली, जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर गहन बातचीत हुई। ट्रंप ने इस बातचीत में स्पष्ट रूप से शांति की इच्छा जताई और पुतिन से पूछा, "क्या आप वास्तव में युद्ध समाप्त करना चाहते हैं, या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाज़ी है?"
युद्ध से थक चुके हैं ट्रंप, चाहते हैं समाधान
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने प्रेस को बताया कि डोनाल्ड ट्रंप युद्ध से थक चुके हैं और अब इस संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म होते देखना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप न सिर्फ रूस बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से भी इस मुद्दे पर बात कर चुके हैं।
ट्रंप ने कहा,
“मैं सिर्फ अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए शांति चाहता हूं। यह युद्ध अब बहुत लंबा हो चुका है, और इसके परिणाम निर्दोष लोगों की मौत, आर्थिक संकट और वैश्विक तनाव के रूप में सामने आ रहे हैं।”
दो घंटे की गंभीर बातचीत: क्या निकला निष्कर्ष?
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप और पुतिन के बीच हुई बातचीत सार्थक, स्पष्ट और सकारात्मक रही। राष्ट्रपति पुतिन ने भी माना कि इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सही दिशा में बातचीत जरूरी है। उन्होंने कहा:
“अगर युद्धविराम चाहिए, तो पहले इस संकट के मूल कारणों को समाप्त करना होगा। हम शांति चाहते हैं, लेकिन शांति उसी समझौते से संभव होगी जो सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।”
पुतिन के इस बयान से संकेत मिलते हैं कि रूस अब कूटनीतिक समाधान के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन वह किसी भी तरह के एकतरफा समझौते के पक्ष में नहीं है।
जेडी वेंस की भूमिका: पहले से की थी ज़मीन तैयार
प की बातचीत से पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पुतिन से संपर्क कर उन्हें स्पष्ट किया था कि ट्रंप किस दिशा में समाधान चाहते हैं। वेंस ने कहा कि अगर ट्रंप को यह लगेगा कि पुतिन इस शांति प्रक्रिया के लिए गंभीर नहीं हैं, तो वह कोई प्रयास नहीं करेंगे।
जेडी वेंस ने यह भी जोड़ा:
“इस युद्ध का अंत सिर्फ राजनीतिक लाभ नहीं है, बल्कि इससे जुड़े हर देश के आर्थिक, सामाजिक और रणनीतिक हित हैं। जितनी जल्दी यह युद्ध खत्म होगा, उतनी जल्दी वैश्विक स्थिरता बहाल होगी।”
क्या पुतिन सच में शांति चाहते हैं?
यह सबसे बड़ा सवाल है जो इस समय वैश्विक राजनीति में गूंज रहा है। पुतिन का कहना है कि:
“रूस की स्थिति स्पष्ट है – हम युद्ध समाप्ति चाहते हैं, लेकिन संतुलित और सम्मानजनक समझौते के साथ। जब तक मूल मुद्दों का समाधान नहीं होता, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन की यह रणनीति दबाव कम करने और अमेरिका से वार्ता का माहौल तैयार करने की कोशिश है। हालांकि कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि रूस समय लेना चाहता है, ताकि वह अपनी सैन्य स्थिति को पुनः मजबूत कर सके।
वैश्विक प्रभाव: क्या बनेगी नई राह?
यह वार्ता केवल अमेरिका और रूस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ेगा। यूरोप, एशिया और NATO देशों में इस बातचीत को आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। यदि ट्रंप और पुतिन के बीच शांति वार्ता आगे बढ़ती है, तो इससे युद्धविराम की मजबूत संभावना बन सकती है।
भारत सहित कई विकासशील देश भी इस संघर्ष के कारण तेल, अनाज और व्यापार की कीमत चुका रहे हैं। ऐसे में वैश्विक नेतृत्व को अब मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
निष्कर्ष: क्या वाकई खत्म होगा यह युद्ध?
डोनाल्ड ट्रंप की पहल को विश्व राजनीति में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। जहां एक ओर अमेरिका ने एक बार फिर अपना वैश्विक नेतृत्व दिखाया है, वहीं रूस ने भी बातचीत की मेज पर आने की इच्छा जताकर एक सकारात्मक संकेत दिया है।
अब देखना होगा कि क्या यह बातचीत एक मजबूत शांति प्रक्रिया का आधार बनती है, या फिर यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित रह जाती है। फिलहाल इतना तय है कि ट्रंप की दो घंटे की कॉल ने नए समीकरणों की शुरुआत कर दी है।