वर्तमान समय में पूरी दुनिया की निगाहें रूस और यूक्रेन के बीच चल रही युद्धविराम वार्ता पर टिकी हुई हैं। यह संघर्ष अब दो वर्षों से अधिक समय से चला आ रहा है, और अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति की संभावनाओं को लेकर नई चर्चा शुरू हुई है। इसी कड़ी में सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कई यूरोपीय नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा की।
हालांकि इन बातचीतों के बाद भी जेलेंस्की ने रूस के इरादों पर गहरा अविश्वास जताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूक्रेन तो बिना किसी शर्त के युद्धविराम चाहता है, लेकिन रूस की मंशा को लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है।
यूक्रेन की मंशा: बिना शर्त युद्धविराम
राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन की ओर से किसी भी तरह की शर्त नहीं रखी गई है। उनका उद्देश्य स्पष्ट है – युद्ध को समाप्त करना और शांति बहाल करना। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार पूरी तरह से युद्धविराम के पक्ष में है और इसके लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
“हम सिर्फ युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं। हम हर रोज़ जान और संपत्ति का नुकसान झेल रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या रूस भी वाकई युद्धविराम के लिए तैयार है?”
— वोलोडिमिर जेलेंस्की
रूस की भूमिका: संदेह बरकरार
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने बताया कि उन्हें रूस की मंशा पर भरोसा नहीं है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अब तक रूस की ओर से कोई स्पष्ट प्रस्ताव सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि रूस केवल एक ज्ञापन भेजना चाहता है, जिसमें वह युद्धविराम के अपने सिद्धांतों को साझा करेगा। इस ज्ञापन में रूस बताएगा कि वह युद्धविराम के साथ और किन शर्तों या पहलुओं को जोड़ना चाहता है।
“हमें नहीं पता कि रूस किन सिद्धांतों पर बात करना चाहता है। क्या वे वास्तव में शांति चाहते हैं या सिर्फ समय खरीदना चाहते हैं?”
— वोलोडिमिर जेलेंस्की
ट्रंप से बातचीत: बिना शर्त युद्धविराम का समर्थन
इस मुद्दे पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से हुई चर्चा को जेलेंस्की ने सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप की ओर से युद्धविराम को लेकर बिना किसी शर्त के समर्थन मिला है, जो यूक्रेन के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
“मुझे खुशी है कि अमेरिका हमारे साथ है। राष्ट्रपति ट्रंप ने जिस तरह बिना शर्त युद्धविराम का समर्थन किया, वह हमारे सिद्धांतों के बिल्कुल अनुरूप है।”
इसके साथ ही जेलेंस्की ने यह भी बताया कि युद्धविराम के बाद कैदियों की अदला-बदली और अन्य मानवीय विषयों पर बातचीत की जाएगी।
यूरोपीय नेताओं से संपर्क: वैश्विक समर्थन की कोशिश
जेलेंस्की ने यूरोप के कई राष्ट्राध्यक्षों से भी बात की है, जिनमें जर्मनी, फ्रांस और इटली प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए यह जरूरी है कि वैश्विक समर्थन बना रहे, ताकि रूस पर दबाव डाला जा सके और वह ईमानदारी से युद्धविराम वार्ता में हिस्सा ले।
“मैं अपने सभी ग्लोबल पार्टनर्स से लगातार संपर्क में हूं। हम जो भी बात करते हैं, वह पारदर्शी होती है। युद्ध को खत्म करने के लिए हमें पूरी दुनिया का सहयोग चाहिए।”
रूस पर भरोसा क्यों नहीं?
जेलेंस्की का कहना है कि रूस की पूर्व की आक्रामक नीतियों, संघर्ष विराम उल्लंघनों और बिना चेतावनी हमलों की वजह से उन्हें भरोसा नहीं है कि वह अब शांति चाहता है। उन्होंने कहा कि कई बार रूस ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की बात की है, लेकिन जमीन पर उसका व्यवहार इसके विपरीत रहा है।
“हम अनुभव से जानते हैं कि रूस पर आंख बंद करके भरोसा नहीं किया जा सकता। हम पहले चरण में केवल युद्धविराम की बात कर रहे हैं, लेकिन उसके लिए भी रूस की नीयत स्पष्ट नहीं है।”
अब आगे क्या? युद्धविराम के बाद की रणनीति
अगर युद्धविराम की स्थिति बनती है, तो उसके बाद मानवता-आधारित कदमों की योजना है – जैसे कि कैदियों की अदला-बदली, सीमा क्षेत्रों की निगरानी, नागरिक सहायता मिशन आदि। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन इस दिशा में पूरी तैयारी कर चुका है, बस रूस की तरफ से वास्तविक प्रतिबद्धता की ज़रूरत है।
निष्कर्ष: शांति की उम्मीद, लेकिन अविश्वास बना हुआ है
रूस-यूक्रेन युद्धविराम को लेकर दुनियाभर में एक नई आशा की किरण दिखाई दे रही है। लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। यूक्रेन पूरी तरह से युद्धविराम के लिए तैयार है, लेकिन रूस की मंशा स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यह देखना बेहद अहम होगा कि क्या आने वाले दिनों में रूस कोई ठोस प्रस्ताव सामने रखता है या फिर यह वार्ता भी अतीत की तरह एक अधूरी कोशिश बनकर रह जाएगी।