रांची न्यूज डेस्क: मोरहाबादी के रामकृष्ण मिशन आश्रम, दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) की ओर से सुकुरहुट्टू गांव में सीएफएलडी सरसो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत गांव के किसानों ने 40 एकड़ भूमि में सरसों की खेती की। खेती के दौरान समय पर बीज की बुआई, संतुलित खाद का उपयोग और खरपतवार व कीट नियंत्रण के लिए समय पर उपाय किए गए, जिससे किसानों को अच्छी पैदावार मिली। केवीके की ओर से उपज प्रदर्शन के माध्यम से किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराया गया। उन्हें यह भी बताया गया कि नई तकनीकों और सही कृषि उत्पादों के इस्तेमाल से उत्पादन में वृद्धि और खेती के क्षेत्र विस्तार के नए अवसर मिल सकते हैं।
सीएफएलडी तिलहन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और फसल वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में जिले में सरसों की खेती का क्षेत्रफल बढ़कर 24 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए रांची में एक हजार एकड़ में सरसों की खेती में केवीके सक्रिय भूमिका निभा रहा है। किसानों को बेहतर पैदावार के लिए समय पर तकनीकी सहायता दी जा रही है, जिससे उनकी आमदनी में भी सुधार हो रहा है। सरसों की खेती को लेकर किसानों में जागरूकता बढ़ाने के लिए केवीके ने कई प्रशिक्षण सत्र और प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
कार्यक्रम का संचालन बीटीएम जनक सिंह और चान्हो एफपीओ बिरसा मुंडा ने किया। कार्यक्रम के दौरान किसानों को खेती के नए तरीकों और तकनीकों की जानकारी दी गई, जिससे वे खेती में अधिक उत्पादन कर सकें। सरसों की खेती में नई तकनीकों के उपयोग से किसानों को न केवल अच्छी पैदावार मिल रही है, बल्कि इससे उनकी आय भी बढ़ रही है। केवीके के इस प्रयास से क्षेत्र के किसान अब अधिक उत्साह से सरसों की खेती की ओर बढ़ रहे हैं।