रांची न्यूज डेस्क: झारखंड में हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर चल रही जल जीवन मिशन की योजनाएं तय समय से काफी पीछे हैं। 2184 करोड़ की लागत से बन रही चार बड़ी पेयजल परियोजनाएं वर्ष 2025 तक पूरी होनी हैं, लेकिन इनमें से तीन में आधे से भी कम काम हुआ है। सिर्फ एक योजना ने अब तक 72 फीसदी प्रगति दर्ज की है। वहीं अब तक इन चारों परियोजनाओं पर करीब 470 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। हाल ही में केंद्र सरकार की एक टीम ने इन योजनाओं की समीक्षा की और रांची, पलामू, साहिबगंज और पाकुड़ जिलों का दौरा कर जमीनी हालात का जायजा लिया।
केंद्रीय टीम ने दौरे के बाद राज्य सरकार के अधिकारियों को काम में तेजी लाने का निर्देश दिया। टीम ने जिन परियोजनाओं का निरीक्षण किया, उनमें रांची की रूक्का-हटिया डैम स्कीम, पाकुड़ की साहिबगंज-पाकुड़-दुमका स्कीम, साहिबगंज की साहिबगंज-गोड्डा-दुमका स्कीम और पलामू की छत्तरपुर-पिपरा स्कीम शामिल हैं। ये सभी योजनाएं 2022-23 में स्वीकृत की गई थीं और इनका लक्ष्य 2025 के भीतर पूरा होना था। मगर इनकी धीमी गति ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
रांची की रूक्का-हटिया डैम योजना में अभी तक सिर्फ 30 प्रतिशत काम हुआ है, जबकि इसे सितंबर 2025 तक पूरा करना है। यह योजना 565 करोड़ रुपये की है और इससे 75 गांवों के 66 हजार से ज्यादा घरों में जल पहुंचाया जाना है। इसी तरह पलामू की छत्तरपुर-पिपरा स्कीम में भी मात्र 25 प्रतिशत काम हुआ है, जबकि इसकी डेडलाइन 20 अप्रैल 2025 थी। 444 करोड़ की इस योजना के तहत 301 गांवों के करीब 48 हजार घरों को जल आपूर्ति करनी है।
साहिबगंज में चल रही दो योजनाओं में से एक — साहिबगंज-गोड्डा-दुमका योजना सबसे पीछे चल रही है, जहां मात्र 23 प्रतिशत काम हुआ है। 823 करोड़ की इस योजना से 3.3 लाख घरों को कवर किया जाना है। वहीं पाकुड़ की साहिबगंज-पाकुड़-दुमका स्कीम की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। यह योजना 72 फीसदी पूरी हो चुकी है और 13 जुलाई 2025 तक पूरी होनी है। इस योजना के जरिए 1001 गांवों के दो लाख से ज्यादा घरों में साफ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है।