रांची न्यूज डेस्क: झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा इलाके में एक खास धार्मिक स्थल है – मौसीबाड़ी, जो जगन्नाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। रथयात्रा के समय भगवान जगन्नाथ कुछ दिनों के लिए यहीं विश्राम करते हैं। इस मौके पर पूरे इलाके में उत्सव का माहौल होता है और मेला भी लगता है। लोग यहां आकर मन्नतें मांगते हैं और इस स्थान की खास बात ये है कि यह एक चट्टान के ऊपर बना हुआ है।
हर साल रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी पहुंचते हैं। यह यात्रा नौ दिनों तक चलती है, जिसमें भगवान अपने मौसी के घर रुकते हैं और दसवें दिन मंदिर लौटते हैं। रथयात्रा की यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है और इसे लेकर स्थानीय लोगों में गहरी आस्था है। कुछ ही दिनों में एक बार फिर इस पवित्र यात्रा की शुरुआत होगी और माहौल भक्तिमय हो जाएगा।
पुजारी शंभू नाथ बताते हैं कि इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार एक बार माता सुभद्रा ने अपने भाइयों भगवान जगन्नाथ और बलराम से नगर भ्रमण की इच्छा जताई थी। भाइयों ने बहन की इच्छा पूरी करने के लिए रथ बनवाया और यात्रा पर निकले। इस यात्रा के दौरान वे मौसीबाड़ी में ठहरे और वहीं नौ दिन गुजारे। यह मान्यता आज भी पूरे उत्साह और श्रद्धा से निभाई जाती है।
जब भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के बाद अपने मंदिर लौट जाते हैं, तब मौसीबाड़ी में सालभर लक्ष्मी नारायण की पूजा होती है। कहा जाता है कि भगवान नारायण, जगन्नाथ का ही स्वरूप हैं। इस स्थल से कई चमत्कारी घटनाएं भी जुड़ी हैं। पुजारी के अनुसार कई श्रद्धालुओं ने यहां मन्नतें मांगकर अपनी खोई हुई चीजें पाई हैं, और ऐसी घटनाओं की कहानियां इलाके में खूब सुनी जाती हैं।