रांची न्यूज डेस्क: झारखंड में हिज्ब-उत-तहरीर के संदिग्ध आतंकी अम्मार याशर ने 10 साल जोधपुर की जेल में बिताए थे और मई 2024 में वह जमानत पर रिहा हुआ था। रिहा होने के बाद, अम्मार ने फिर से आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़कर देश के खिलाफ जिहाद की योजनाओं में शामिल होने का फैसला किया। एटीएस ने धनबाद से गिरफ्तार गुलफाम हसन, आयान जावेद, मो शहजाद और शबनम परवीन की जानकारी के आधार पर अम्मार याशर को गिरफ्तार किया। शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया गया, और अब रिमांड पर उसे पूछताछ की जाएगी।
अम्मार याशर की आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों का सिलसिला साल 2013 से चल रहा था, जब इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क को लेकर देशभर में दबिश शुरू हुई थी। 2014 में उसे दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने शाहीनबाग से गिरफ्तार किया था, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उसे छोड़ दिया गया। फिर, 2014 में राजस्थान एटीएस ने उसे शेरघाटी से गिरफ्तार किया था, जब वह जयपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। इस दौरान वह इंडियन मुजाहिदीन के संपर्क में आया और प्रतिबंधित संगठन में शामिल हो गया था।
10 साल की सजा के बाद मई 2024 में उसे जमानत मिल गई और वह रिहा हो गया। जमानत पर बाहर आते ही, अम्मार ने हिज्ब-उत-तहरीर में शामिल होने का कदम उठाया। एटीएस को यह भी पता चला है कि अम्मार का नियमित संपर्क आयान जावेद से था और आयान की निशानदेही पर ही अम्मार का नाम सामने आया। गिरफ्तारी के बाद, अम्मार के मोबाइल से कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो प्रतिबंधित संगठन से संबंधित थे, और एटीएस अब इस जानकारी के आधार पर हिज्ब-उत-तहरीर के बड़े हैंडलर्स तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।