रांची न्यूज डेस्क: रांची के बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड हाईकोर्ट की अदालत ने पूर्व उपायुक्त छवि रंजन की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला रांची के बरियातू रोड स्थित 4.55 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिस पर सेना का कब्जा था और जिसे लेकर फर्जीवाड़े का आरोप है। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने दोनों पक्षों — प्रार्थी छवि रंजन और ईडी — की दलीलें सुनीं।
छवि रंजन की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने दलील दी कि उनके मुवक्किल पिछले 22 महीने से जेल में हैं और अब तक सरकार से अभियोजन स्वीकृति भी नहीं ली गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के एक फैसले का हवाला देते हुए अदालत से जमानत देने का आग्रह किया। वहीं ईडी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार दास ने जोरदार तरीके से जमानत का विरोध करते हुए छवि रंजन की संलिप्तता को गंभीर बताया।
छवि रंजन पर आरोप है कि उन्होंने उपायुक्त रहते हुए सेना की जमीन से जुड़े फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध तरीके से खरीद-बिक्री कराई थी। अप्रैल 2023 में ईडी ने छापेमारी कर उनके समेत 18 लोगों के 22 ठिकानों पर कार्रवाई की थी। बाद में पीएमएलए की विशेष अदालत में 10 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई, जिसमें छवि रंजन और कारोबारी अमित अग्रवाल प्रमुख नाम हैं।
अब अदालत ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और आने वाले दिनों में यह तय होगा कि छवि रंजन को राहत मिलेगी या उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा। मामला राज्य की अफसरशाही और भ्रष्टाचार के जाल को उजागर करता है, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।