रांची न्यूज डेस्क: झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के पद पर बने रहने को लेकर अब तस्वीर साफ होने वाली है। माना जा रहा है कि बुधवार को इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। राज्य सरकार की ओर से संभावना जताई जा रही है कि अनुराग गुप्ता की दो साल की नियुक्ति को कैबिनेट की मंजूरी के आधार पर सही ठहराते हुए इसकी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जा सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रांची लौटने के बाद इस मामले में औपचारिक निर्णय की उम्मीद है।
वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय गृह मंत्रालय की आपत्ति के बाद एक और संभावना यह भी है कि अनुराग गुप्ता की सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल को ही मानी जाएगी। दरअसल, केंद्र ने राज्य की मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए साफ कहा है कि अनुराग गुप्ता की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के आधार पर की गई है, जो देश में प्रचलित दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और 1958 के सेवा नियमों का हवाला देकर यह भी बताया गया है कि 60 साल की उम्र के बाद सेवा विस्तार केवल केंद्र सरकार ही दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के ‘प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार’ केस के तहत यह तय है कि डीजीपी का कार्यकाल दो साल का हो सकता है, लेकिन यह नियुक्ति तय प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए। गृह मंत्रालय का कहना है कि अनुराग गुप्ता को केंद्र की ओर से कोई सेवा विस्तार नहीं दिया गया है और वो 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें रिटायरमेंट के बाद भी पद पर बनाए रखना नियमों के खिलाफ होगा। केंद्र ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि गुप्ता को तय तारीख पर डीजीपी पद से मुक्त किया जाए।