रांची न्यूज डेस्क: हाई कोर्ट की खंडपीठ में रांची सदर अस्पताल में मरीज को एंबुलेंस से उतार कर पैदल ले जाने के मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने राज्य सरकार को इस घटना पर तीन सप्ताह के अंदर जवाब देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि भविष्य में इस तरह की स्थिति न हो, इसके लिए सरकार आवश्यक कदम उठाए और उनकी जानकारी दे।
सुनवाई के दौरान सरकार के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट पूरी तरह सही नहीं है। अस्पताल परिसर में गेट जाम होने की वजह से एंबुलेंस अंदर नहीं जा सकी, इसलिए मरीज को उतार कर अस्पताल के अंदर पैदल ले जाया गया। अस्पताल की पार्किंग निजी कंपनी के पास है और उसे निर्देश दिया गया है कि भविष्य में गेट जाम न होने पाए।
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि अस्पताल के मुख्य गेट पर कई वाहन गैरकानूनी रूप से खड़े थे, जिससे गर्भवती महिला को करीब 400 मीटर तक पैदल अस्पताल लाना पड़ा। इस दौरान महिला के परिजन और अस्पताल स्टाफ को काफी परेशानी हुई। पार्किंग व्यवस्था की कमी ने मरीजों और उनके साथ आए लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
अस्पताल प्रबंधन की पार्किंग और वाहनों की निगरानी में गंभीर कमी के कारण गंभीर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को निर्धारित की गई है।