रांची न्यूज डेस्क: विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर झारखंड में एक रंगारंग राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें लोकगीतों और नृत्यों के ज़रिए लोगों को परिवार नियोजन के महत्व के बारे में बताया गया। 'खुशी का मंत्र रखना याद, दूसरा बच्चा तीन साल बाद' जैसे आकर्षक स्लोगन ने कार्यक्रम में जान डाल दी। इस मौके पर परिवार नियोजन पर आधारित एक खास वीडियो भी लॉन्च किया गया, जिसे सहिया ऐप से जोड़ा जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह संदेश पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत एनएचएम के अभियान निदेशक शशि प्रकाश झा ने की, जिन्होंने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ सिद्धार्थ सान्याल ने बताया कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर जहां 0.90% है, वहीं झारखंड में यह 1.25% है। हालांकि हालिया आंकड़े बताते हैं कि राज्य की वृद्धि दर में कमी आ रही है, जिसका श्रेय परिवार नियोजन कार्यक्रमों को जाता है। उन्होंने अस्थायी गर्भनिरोधक उपायों के महत्व पर ज़ोर दिया, जो विशेष रूप से कम उम्र में शादी और गर्भधारण जैसी समस्याओं को रोकने में मददगार हैं।
इस साल की थीम रही – "मां बनने की उम्र वही, जब तन और मन की तैयारी सही", जिसके तहत यह संदेश दिया गया कि किशोरावस्था में गर्भधारण को रोका जाए और महिलाओं को तभी मां बनने की सलाह दी जाए जब वे मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हों। रांची के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि राज्य की कुल प्रजनन दर अब 2.3 हो गई है, जो सकारात्मक संकेत है, लेकिन राज्य की कुल जनसंख्या वृद्धि दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जिससे संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है।
परिवार नियोजन की नोडल अधिकारी डॉ. पुष्पा ने "बास्केट ऑफ चॉइस" के तहत उपलब्ध कंट्रासेप्टिव विकल्पों पर प्रकाश डाला और टीनएज प्रेगनेंसी को रोकने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता जताई। इस आयोजन में कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, जिनमें डॉ लाल माझी, डॉ अजीत खालखो और डॉ विमलेश सिंह प्रमुख रहे।