रांची न्यूज डेस्क: झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को जेल मैनुअल को लागू करने से जुड़ी स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि जेलों में रिक्त पदों को भरने के लिए अब तक क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि जेपीएससी और जेएसएससी को अधियाचना भेजी गई है या नहीं।
अदालत ने गृह एवं कारा विभाग को निर्देश दिया कि वे अब तक की गई कार्रवाई की पूरी जानकारी अगली सुनवाई में 12 अगस्त को पेश करें। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य की जेलों में रिक्त पदों की स्थिति चिंताजनक है, खासकर मेडिकल ऑफिसरों के संदर्भ में। राज्य में 43 स्वीकृत पदों में से 42 पद खाली हैं।
सुनवाई के दौरान न्याय मित्र अधिवक्ता मनोज टंडन ने महिला कैदियों के लिए अलग जेल की जरूरत पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि देशभर में 31 महिला जेलें हैं, पर झारखंड में एक भी ऐसी जेल नहीं है जो सिर्फ महिलाओं के लिए हो। इस पर अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह महिला कैदियों से जुड़ा विस्तृत आंकड़ा अदालत के सामने पेश करे।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि जेल मैनुअल को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों के जेलों की स्थिति पर गंभीरता दिखाने और हाईकोर्ट को निगरानी सौंपने के आदेश से जुड़ा है, जिसके तहत झारखंड हाईकोर्ट भी इस विषय में लगातार निगरानी कर रहा है।