रांची न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड से जुड़ी गतिविधियों को लेकर नया कानून लाए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इस संशोधित कानून के लागू होने पर मुस्लिम समुदाय ने खुलकर विरोध जताया है, वहीं विपक्षी दल भाजपा पर इस कानून के जरिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं। झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन का बयान कि "संविधान हाथ में है और शरीयत दिल में" ने आग में घी डालने का काम किया। मंत्री ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मुसलमान पहले शरीयत को मानते हैं और सरकार को इस मसले पर उकसावे से बचना चाहिए।
भाजपा ने किया तीखा विरोध
मंत्री हसन के बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। रांची में भाजपा कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकाला, जिसमें नेताओं ने हाथों में संविधान की प्रति लेकर विरोध जताया। भाजपा का कहना है कि मंत्री ने अपने बयान से न सिर्फ संविधान का अपमान किया है बल्कि राज्य की शांति व्यवस्था को भी खतरे में डाला है। भाजपा के अनुसार ऐसे बयान समाज में गलत संदेश देते हैं और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं।
राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन
आक्रोश मार्च के बाद भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल संतोष गंगवार से मिला और मंत्री के बयान को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, सांसद दीपक प्रकाश, विधायक सीपी सिंह समेत कई दिग्गज नेता शामिल रहे। उन्होंने राज्यपाल से मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की और कहा कि ऐसी बयानबाज़ी लोकतंत्र के लिए खतरा है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।