रांची न्यूज डेस्क: संविधान दिवस के मौके पर झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान ने NUSRL रांची में शुरू हुए दो दिन के नेशनल सेमिनार “भारतीय संविधान के 75 साल: आज के विचार और भविष्य की दिशाएँ” का उद्घाटन किया। इस मौके पर पूरे देश से आए न्यायविद, कानून विशेषज्ञ, शिक्षाविद, रिसर्च स्कॉलर्स और छात्र मौजूद रहे। उद्घाटन कार्यक्रम 25 नवंबर को हुआ, जहां चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान बतौर चांसलर और चीफ गेस्ट शामिल हुए।
अपने संबोधन में चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो समय के साथ बदलती जरूरतों और चुनौतियों के हिसाब से नई दिशा देता है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा आधारित शासन और उभरती टेक्नोलॉजी के कारण बन रही जटिल परिस्थितियों पर बात की। पुट्टास्वामी फैसले का उदाहरण देते हुए उन्होंने प्राइवेसी अधिकार की अहमियत समझाई और आने वाले वक्त में न्यायिक प्रणाली के सामने खड़ी होने वाली नई चुनौतियों को भी रेखांकित किया।
कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में शामिल हाईकोर्ट के जज, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने संविधान के विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से जुड़े अधिकारों को लेकर हुए अहम सुधारों और आर्टिकल 21 की प्रगतिशील व्याख्याओं पर जोर दिया, जिसने भारतीय न्याय प्रणाली को और व्यापक और संवेदनशील बनाया है। उनकी बातें साफ तौर पर यह संकेत देती हैं कि भविष्य में भी संविधान की व्याख्या और विस्तार इसी दिशा में आगे बढ़ता रहेगा।
सेमिनार के अवसर पर यूनिवर्सिटी ने अपनी तीन महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत भी की। इनमें अंडर-ट्रायल कैदियों और निरंतर कानूनी शिक्षा पर आधारित प्रोजेक्ट, CCL और NUSRL न्यूज़लेटर शामिल थे। साथ ही CSR द्वारा समर्थित “आजीविका का अधिकार (न्याय सेतु)” नामक प्रोजेक्ट भी लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को कानूनी और आजीविका से जुड़ी सहायता उपलब्ध कराना है। इन पहलियों के साथ सेमिनार ने न सिर्फ चर्चाओं को नई दिशा दी बल्कि जमीनी स्तर पर प्रभावकारी बदलावों की नींव भी रखी।