रांची न्यूज डेस्क: रांची एयरपोर्ट पर पिछले एक महीने से फ्लाइट डिले रोजमर्रा की परेशानी बन चुकी है। औसतन पाँच विमान तय समय से देर से लैंड कर रहे हैं और पिछले पाँच दिनों से तो सुबह की धुंध ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। रोज करीब 10 विमान विजिबिलिटी की समस्या में फँसकर लेट लैंड कर रहे हैं। इससे यात्रियों को लंबा इंतजार, कनेक्टिंग फ्लाइट छूटने और बिज़नेस प्लान बिगड़ने जैसे झंझट झेलने पड़ रहे हैं।
विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि अगले दो महीनों में कोहरा और बढ़ेगा, इसलिए फ्लाइट डिले, डायवर्जन और कैंसिलेशन की दिक्कतें भी तेज़ी से बढ़ेंगी। असल परेशानी यह है कि रांची एयरपोर्ट में अब तक कैट-2 लाइटिंग सिस्टम लगा ही नहीं है। साल 2023 में 900 मीटर लंबे इस सिस्टम की योजना बनी, टेंडर भी हुआ, सामान भी आ गया, लेकीन जमीन न मिलने से प्रोजेक्ट ठप पड़ गया।
एयरपोर्ट प्रबंधन का कहना है कि कैट-2 सिस्टम लग जाए तो 1200 मीटर की जगह सिर्फ लगभग 850 मीटर विजिबिलिटी में भी विमान सुरक्षित लैंड कर पाएंगे। लेकिन इसे लगाने के लिए रनवे को 900 मीटर बढ़ाना होगा और इसके लिए जो अतिरिक्त जमीन चाहिए, उसका अधिग्रहण लोकल विरोध की वजह से नहीं हो सका। जबकि 2022 में हेथू गांव की 301 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, फिर भी मामला अटका हुआ है।
कैट-2 लाइटिंग को लेकर विशेषज्ञ और उद्योग जगत भी एकमत हैं। यह हाई-इंटेंसिटी लाइटिंग सिस्टम कम विजिबिलिटी में पायलट को रनवे का सही गाइडेंस देता है। झारखंड चैंबर की सिविल एविएशन कमिटी के चेयरमैन श्रवण राजगढ़िया भी मानते हैं कि सिस्टम लागू होते ही कोहरे में भी विमानों की लैंडिंग आसान हो जाएगी। एयरलाइंस भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रही हैं ताकि हर सर्दी में होने वाले डिले की समस्या कम हो सके।