रांची न्यूज डेस्क: यह नई व्यवस्था रांची के लोगों के लिए सच में एक बड़ी राहत लेकर आई है। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए अब नगर निगम के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, क्योंकि पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है। पहले जहां लोगों को ऑफिस की लंबी कतारों, कागज़ी झंझटों और बिचौलियों की ठगी से जूझना पड़ता था, वहीं अब घर बैठे ऑनलाइन आवेदन करना काफी आसान हो गया है। यही वजह है कि नागरिकों को ना तो समय बर्बाद करना पड़ेगा और ना ही अतिरिक्त खर्च करना होगा।
नए सिस्टम के तहत जिस भी अस्पताल में बच्चे का जन्म या किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, वहां से ही पूरी जानकारी ऑनलाइन नगर निगम को भेज दी जाएगी। प्रमाण पत्र तैयार होने के बाद सीधे आवेदक के ईमेल पर आ जाएगा। यह सुविधा न सिर्फ प्रोसेस को तेज बनाती है बल्कि फिजिकल वेरिफिकेशन की परेशानी भी खत्म कर देती है। पहले कई बार कागज़ी जांच या देरी की वजह से प्रमाण पत्र समय पर नहीं मिल पाते थे, लेकिन डिजिटल प्रोसेस ने इस दिक्कत को लगभग समाप्त कर दिया है।
नगर आयुक्त सुशांत गौरव ने साफ कहा है कि निगम का मकसद सेवाएं समय पर देना है। पहले जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र से जुड़े आवेदन महीनों तक अटके रहते थे, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती थी। अब पहले पुराने लंबित मामलों को निपटाया जा रहा है, इसके बाद केवल नए आवेदनों पर फोकस रहेगा। उन्होंने लोगों से अपील भी की है कि जन्म या मृत्यु की घटना को 21 दिनों के भीतर दर्ज कराएं, ताकि राइट टू सर्विस एक्ट के तहत तय समय में प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जा सके।
बिचौलियों का पुराना खेल भी इस डिजिटल प्रोसेस से खत्म होने की कगार पर है। पहले कई लोग उनके चक्कर में फंसकर मोटी रकम दे देते थे, लेकिन अब इसकी जरूरत ही नहीं है। बस सही दस्तावेज़ अपलोड करें, आवेदन करें और समय पर प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें। अस्पतालों को भी निर्देश दिया गया है कि वे डेटा समय पर और सटीक भेजें। साथ ही घर पर जन्म होने पर 21 दिनों के भीतर पंजीकरण न होने पर लोगों को सीधे नगर निगम में आवेदन करना होगा, जहां दस्तावेज़ों की जांच के बाद फाइल एसडीओ कार्यालय भेजकर मंजूरी दी जाती है। कुल मिलाकर इस डिजिटलाइजेशन से समय की बचत, कागज़ी झंझट का अंत और भ्रष्टाचार में कमी—तीनों बड़े फायदे एक साथ मिल रहे हैं।