आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी से किए तीखे सवाल, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, May 22, 2025

मुंबई, 22 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आतंकवाद, पाकिस्तान के बयान और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान मध्यस्थता दावे को लेकर तीन तीखे सवाल पूछे हैं। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए पीएम मोदी के पुराने राष्ट्र संबोधन का एक वीडियो क्लिप भी जोड़ा है, जिसमें प्रधानमंत्री यह कहते सुनाई देते हैं कि जब पाकिस्तान ने कहा कि उसकी ओर से अब कोई आतंकी गतिविधि नहीं होगी, तो भारत ने उस पर विचार किया। राहुल ने पीएम मोदी पर तीखा हमला करते हुए लिखा, "मोदी जी खोखले भाषण देना बंद कर दीजिए, सिर्फ इतना बताइए, क्या आपने भारत के सम्मान से समझौता कर लिया?" इसके साथ उन्होंने तीन सवाल पूछे, पहला - आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया? दूसरा - ट्रंप के सामने झुककर आपने भारत के हितों की कुर्बानी क्यों दी? तीसरा - आपका खून सिर्फ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है?

यह बयान राहुल गांधी ने उस समय दिया जब प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बीकानेर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान और आतंकवाद पर अपनी कड़ी नीति की बात दोहराई थी। सभा में पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान भारत से सीधे युद्ध में नहीं जीत सकता, इसलिए उसने आतंकवाद को हथियार बनाया है। उन्होंने कहा कि अब भारत में मोदी है, जो सीना तानकर खड़ा है। पीएम मोदी ने कहा, "मेरी नसों में अब खून नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है।" पीएम ने आतंकवाद से निपटने के लिए तीन सूत्रों का भी जिक्र किया, पहला - अगर भारत पर आतंकी हमला होता है, तो जवाब समय, तरीका और शर्तें भारत की होंगी। दूसरा - एटम बम की धमकियों से भारत डरने वाला नहीं है। तीसरा - आतंकी संगठनों और उन्हें समर्थन देने वाली सरकारों को भारत अलग-अलग नहीं देखेगा।

पीएम के इस भाषण पर कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने भी तीखा हमला बोला। उन्होंने X पोस्ट में लिखा कि बीकानेर में पीएम मोदी ने भव्य लेकिन खोखले फिल्मी डायलॉग बोले। जयराम रमेश ने पूछा कि पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकी अब तक क्यों खुले घूम रहे हैं, जबकि वे बीते 18 महीने में पुंछ, गगनगीर और गुलमर्ग में भी हमलों में शामिल रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने अब तक किसी सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता क्यों नहीं की और विपक्ष को भरोसे में क्यों नहीं लिया? साथ ही 22 फरवरी 1994 को सर्वसम्मति से पारित संसद प्रस्ताव को दोहराने के लिए विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया गया, जबकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और पाकिस्तान के बीच गहरी साझेदारी सामने आई थी? रमेश ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो के भारत-पाकिस्तान पर मध्यस्थता को लेकर किए जा रहे बयानों पर चुप क्यों हैं?


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