मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी रविवार को जयपुर स्थित ईपी मिराज सिनेमा में अपनी नई फिल्म 'केसरी वीर' की स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने पहुंचे, लेकिन भारी भीड़ और अव्यवस्था के चलते उन्हें स्क्रीनिंग शुरू होने से पहले ही वहां से निकलना पड़ा। सिनेमा हॉल में सुनील शेट्टी का पारंपरिक राजस्थानी अंदाज में ढोल-ताशों और माला पहनाकर स्वागत किया गया। करणी सेना के शिव सिंह ने उन्हें सम्मानित भी किया। लेकिन आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में मौजूद प्रशंसकों ने उनके साथ फोटो खिंचवाने की कोशिश की, जिससे हालात असंतुलित हो गए और सुरक्षा व्यवस्था बिखर गई। बाउंसर्स और मीडिया के बीच धक्का-मुक्की की भी स्थिति उत्पन्न हो गई। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सुनील शेट्टी ने कहा कि बॉलीवुड हमेशा भारत और भारतीय सेना के साथ खड़ा रहा है और जब भी देश या समाज की बात होती है, तो हम सबसे पहले सामने आते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बॉलीवुड ने ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी नहीं साधी, बल्कि जिनको बोलना था उन्होंने खुलकर समर्थन जताया।
फिल्म 'केसरी वीर' पर बात करते हुए सुनील शेट्टी ने बताया कि यह फिल्म 14वीं सदी में सोमनाथ मंदिर पर हुए हमले और उस दौरान मंदिर की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले गुमनाम वीरों की कहानी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक युद्ध कथा नहीं बल्कि पूरे समाज, गांव, महिलाओं और बच्चों के सामूहिक बलिदान की दास्तान है। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास की लड़ाइयाँ धर्म या जातियों के बीच नहीं, बल्कि गलत सोच और बुरी विचारधारा के खिलाफ रही हैं। उनका मानना है कि लड़ाई उस सोच से होनी चाहिए जो केवल अपने स्वार्थ और सीमित हितों तक सिमटी होती है।भारत सरकार द्वारा तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार पर उन्होंने कहा कि जो निर्णय देश और प्रधानमंत्री लें, वही राष्ट्रहित में होता है। ऐसे में हर भारतीय को उन फैसलों के साथ खड़ा होना चाहिए, और बॉलीवुड भी यही करता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने असली इतिहास से वंचित रखा गया है। स्कूलों में हमें अंग्रेजों और मुगलों के बारे में पढ़ाया गया, लेकिन अपने सच्चे वीरों के बलिदान की कहानियाँ नहीं बताई गईं। 'केसरी वीर' के जरिए उसी भूले-बिसरे इतिहास को उजागर करने का प्रयास किया गया है। अपने किरदार के बारे में उन्होंने कहा कि जब एक पिता अपनी बेटी का भक्त होता है और जब एक व्यक्ति अपने देश का भक्त होता है, तो उससे बड़ा कोई नहीं होता। उनके किरदार में भक्ति, साहस और समर्पण की भावना है। फिल्म में उनके साथ सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय भी मुख्य भूमिकाओं में हैं, जहां विवेक ओबेरॉय एक नकारात्मक भूमिका में नजर आएंगे।