रांची न्यूज डेस्क: झारखंड हाई कोर्ट का हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो चर्चा का विषय बन गया है। वीडियो में जज जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे और उन्होंने सीनियर IAS अधिकारी मनोज कुमार पांडेय को जमकर फटकार लगाई। मामला जमीन मुआवजे से जुड़ा था। राज्य सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का निर्णय लिया था, लेकिन IAS अधिकारी ने उस पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और साफ कहा:
“आप कौन होते हैं मुआवजे पर सवाल उठाने वाले? यह आपका क्षेत्राधिकार नहीं है। अगर कमीशन चाहिए तो बताइए कितना कमीशन अब तक लिया है।”
जज ने सख्त लहजे में कहा, “पूरे हिंदुस्तान में एक कानून चलता है, या झारखंड में अलग? यह जनता का पैसा है, इसे ऐसे बर्बाद नहीं किया जा सकता। मजाक बनाकर रख दिया है प्रक्रिया का। FIR करनी पड़ी तो करेंगे।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकारी केवल अपने अधिकार क्षेत्र में कार्य करें, किसी और की भूमिका में हस्तक्षेप न करें।
जब जज ने अधिकारी से उनका नाम और पद पूछा, तो उन्होंने बताया कि वह मनोज कुमार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। जज ने फिर कड़ा सवाल दागा कि “राज्य की संपत्ति पर आप किस नियम के तहत मुआवजा रोकने की कोशिश कर रहे हैं?” अफसर की ओर से वकील ने दलील दी कि जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है, लेकिन जज ने तुरंत पलट कर कहा, “राज्य ने जिसे ‘रैयत’ माना है, आप कौन होते हैं कहने वाले कि वह रैयत नहीं है? सिर्फ कमीशन के लिए प्रक्रिया में अड़ंगे मत डालिए।”
आखिर में जज ने स्पष्ट चेतावनी दी कि या तो पूरा मामला सही तरीके से कंपाइल किया जाए, नहीं तो FIR दर्ज होगी। उन्होंने अधिकारी को सिर्फ एक हफ्ते का समय दिया और कहा कि अपने अधिकार क्षेत्र में ही काम करें, परमीशन के बहाने या अन्य बहाने मत बनाइए। इसके बाद IAS अधिकारी ने झट से माफी मांगी और कहा, “सॉरी सर,” लेकिन जज का गुस्सा कम नहीं हुआ।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और लोगों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसमें उच्च अधिकारी को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाना और भ्रष्टाचार/अनियमितता पर कोर्ट की सख्ती साफ दिखाई दे रही है।