रांची न्यूज डेस्क: झारखंड में मानसून दस्तक देने को तैयार है और मौसम विभाग के मुताबिक 6 जून तक बारिश की शुरुआत हो सकती है। ऐसे में मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों के लिए यह मौसम चुनौती बनकर आता है। भारी बारिश के चलते मधुमक्खियां छत्ते से बाहर नहीं निकल पातीं, जिससे उन्हें भोजन नहीं मिल पाता। साथ ही, बारिश के मौसम में कीड़े-मकोड़े और पतंगे छत्तों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं।
रांची स्थित बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कीट वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ. मिलान चक्रवर्ती के मुताबिक, बरसात का मौसम मधुमक्खी पालकों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं होता। कीड़े छत्ते में घुस जाते हैं और उसे बर्बाद कर देते हैं। कई बार तो पूरे छत्ते पर ही उनका कब्जा हो जाता है, जिससे शहद उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है और पालकों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
इस समस्या से बचने के लिए डॉ. चक्रवर्ती ने उपाय बताया है कि हर मधुमक्खी के कंटेनर में सल्फर का घोल डालें। एक लीटर पानी में सिर्फ एक चम्मच सल्फर मिलाएं और फिर हर कंटेनर में करीब 50 एमएल यह घोल डालें। कीड़े इस गंध को पसंद नहीं करते और छत्ते के पास भी नहीं फटकेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कंटेनर की नियमित सफाई बेहद जरूरी है ताकि कीड़े न पनप सकें।
दूसरी बड़ी परेशानी है मधुमक्खियों के खाने की। बारिश में जब वो बाहर नहीं जा पातीं, तो उन्हें चीनी की गाढ़ी चाशनी बनाकर खिलाना चाहिए। चाशनी इतनी गाढ़ी हो कि हाथ से छूने पर उसमें रेशे दिखें। दिन में एक बार ही यह चाशनी देना पर्याप्त होता है। अगर ये दो बातों का ध्यान रखा जाए—कीड़ों से बचाव और भोजन की व्यवस्था—तो बरसात में भी मधुमक्खी पालन बिना नुकसान के किया जा सकता है।